नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने लोकायुक्त एनके गुप्ता को महाकाल लोक मामले की जांच से दूर रहने को कहा

‘विधायक परमार ने महाकाल लोक में घोटाले की शिकायत की थी, गुप्ता इतने लंबे अरसे तक दबाए क्यों बैठे रहे’

भोपाल – उज्जैन के महाकाल लोक में मूर्तियों के आंधी में उड़कर गिरने और टूटने के सिलसिले में मध्यप्रदेश सरकार और लोकायुक्त पर बड़ा हमला बोला है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने लोकायुक्त एनके गुप्ता को महाकाल लोक मामले की जांच से दूर रहने को कहा है। इसके पीछे तर्क देते हुए उन्होंने कहा कि लोकायुक्त गुप्ता सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं। 1 साल पहले ही हमारे विधायक महेश परमार ने महाकाल लोक में हो रहे घोटाले की शिकायत की थी। गुप्ता इतने लंबे अरसे तक इस भ्रष्टाचार को दबाए क्यों बैठे रहे।


भोपाल में पत्रकार वार्ता में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘इससे पहले गोहद में ओलावृष्टि की मुआवजा राशि बांटने में भ्रष्टाचार हुआ था। मैंने यह बात उठाई थी। राजस्व मंत्री ने भी विधानसभा में स्वीकार किया था कि भ्रष्टाचार हुआ है। मैंने प्रमाण भी दिए थे। जांच की कोई जरूरत नहीं थी। मैंने जो दस्तावेज दिए थे, उसके आधार पर ही मामला दर्ज हो जाना चाहिए था, लेकिन लोकायुक्त गुप्ता कार्रवाई नहीं कर पाए।’

लोकायुक्त की कुर्सी पर बैठकर अन्याय कर रहे

डॉ. गोविंद सिंह ने कहा, ‘लोकायुक्त की कुर्सी पर बैठकर एनके गुप्ता अन्याय कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संवैधानिक संस्थाओं को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दे रहे हैं। जो लोकायुक्त न्याय नहीं करें, भ्रष्टाचार को दबाने का काम करें, अब वही महाकाल लोक में भ्रष्टाचार की जांच कर रहे हैं। वे क्या जांच करेंगे, क्या उम्मीद रखें ऐसे व्यक्ति से? जब भ्रष्टाचार हो गया, मूर्तियां गिर गईं, सनातन धर्म के करोड़ों लोगों की श्रद्धा को ठेस पहुंची, तब जाकर जांच करेंगे। इससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति मध्यप्रदेश के लोकायुक्त के लिए क्या हो सकती है।’

MP में लोकायुक्त कार्यालय बंद कर देना चाहिए

डॉ. गोविंद सिंह ने कहा- ईमानदार डीजे मकवाना बतौर लोकायुक्त डीजी​​​ ​​​​कार्रवाई करना चाहते थे, लेकिन उनको दबाव डालकर हटवा दिया। मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश का लोकायुक्त कार्यालय बंद कर दिया जाए। इस पर जनता की गाढ़ी कमाई से जो खर्च हो रहा है, उसे बचाया जाए। महाकाल लोक घोटाले की जांच केवल उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के आयोग द्वारा कराई जाए, तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। लोकायुक्त से मध्यप्रदेश की जनता का विश्वास उठ चुका है। उनसे हम कोई उम्मीद नहीं कर सकते।