बिहार में कोरोना महामारी के कारण विधानसभा चुनाव पर असमंजस

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चुनाव आयोग भले ही बिहार में तय समय पर विधानसभा चुनाव कराने की बात कर रहा है, मगर तेजी से बढ़ता कोरोना संक्रमण इसमें मुश्किलें पैदा कर सकता है। अगर अगस्त तक कोरोना के प्रसार में कमी नहीं आई तो विधानसभा चुनाव टलने के आसार बढ़ सकते हैं।

हालांकि आयोग समय पर चुनाव कराने को लेकर सभी दलों के साथ लगातार बात कर रहा है। कई विपक्षी दल कोरोना के मद्देनजर चुनाव टालने पर की मांग कर रहे हैं, लेकिन आयोग चुनाव कराने के लिए कई विकल्पों मसलन बूथों की संख्या बढ़ाने, प्रचार के लिए वर्चुअल तरीका अपनाने जैसे विकल्प पर मंथन कर रहा है। दरअसल, जून तक बिहार में कोरोना प्रकोप नियंत्रण होने जैसा दिख रहा था, लेकिन जुलाई में अचानक से मामलों में तेजी आई।
अब तक राज्य में संक्रमितों की संख्या 26 हजार को पार कर चुकी है। वर्तमान में जैसे हालात हैं, उससे इनमें और तेजी आने की संभावना है। कोरोना के कहर के बीच राज्य का बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में है। जाहिर तौर पर कोरोना और बाढ़ का असर चुनावी तैयारियों पर पड़ना तय है। मतदाता सूची को अपडेट करने और नए वोटर का नाम जोड़ने का काम भी अभी पूरा नहीं हुआ है।
आयोग के सूत्रों का कहना है कि फिलहाल तय समय पर चुनाव की संभावना तलाशी जा रही है। सभी दलों से बातचीत का सिलसिला जारी है। बातचीत की प्रक्रिया पूरी होने और सभी दलों की राय लेने के बाद आयोग इस पर अंतिम फैसला लेगा। गौरतलब है कि राज्य विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को पूरा हो रहा है।

चुनाव टला तो राष्ट्रपति शासन ही विकल्प
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता इमरान अली के मुताबिक, संविधान संसद को विधानसभा का कार्यकाल एक साल और फिर छह महीने के लिए बढ़ाने का अधिकार देता है। अनुच्छेद 172 के तहत ऐसा किया जा सकता है। मगर यह तभी किया जा सकता है जब आपातकाल लगा हो।

महामारी या किसी अन्य परिस्थिति के मद्देनजर विधानसभा का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जा सकता। ऐसे में अगर विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने से पहले चुनाव नहीं कराए जा सके तो फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का ही विकल्प बचता है

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