स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने ली प्रसूता की जान

परिजनों ने स्वास्थ्यकर्मियों पर गलत तरह से उपचार करने का आरोप लगाया

राजगढ़ – राजगढ़ जिले के जीरापुर सिविल अस्पताल में भर्ती प्रसूता महिला की जान स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने ले ली है। अपनी नकारात्मक कार्य शैली को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले जीरापुर अस्पताल में बुधवार करीब 1 बजे डिलीवरी के उपरांत अत्यधिक ब्लडिंग होने के बाद प्रसूता महिला को जिला अस्पताल राजगढ़ रेफर कर दिया। जबकि राजगढ़ में ओ नेगेटिव खून उपलब्ध नहीं था। बावजूद सिविल अस्पताल से महिला को राजगढ़ के लिए रेफर किया गया।

जब अस्पताल की एम्बुलेंस महिला को लेकर राजगढ़ के नजदीक जालपा माता मंदिर के समीप पहुंची तो एम्बुलेंस के चालक को ब्लॉक मेडिकल आफिसर ऐन वक्त पर राजगढ़ में महिला प्रसूता को झालावाड़ ले जाने की बात कह देते हैं। ब्लडिंग अधिक होने के कारण महिला ने इकलेरा जाते समय ही रास्ते दम तोड़ दिया।

जानकारी के अनुसार बुधवार सुबह गांव मेलखेड़ी 29 वर्षीय मंजू पति सुरेश नट सिविल अस्पताल में डिलीवरी के लिए लाया गया था। जहां महिला ने दोपहर को 1 बजकर 5 मिनट पर एक स्वास्थ्य लड़की को जन्म दिया। नर्स स्टाफ उमा कावरे, लीना ठाकुर, संगीता दांगी ने उक्त महिला का सुरक्षित प्रसव कराया। प्रसव के कुछ समय बाद अत्यधिक ब्लडिंग होने लगी नर्सिंग स्टाफ ने इसकी जानकारी डयूटी के दौरान मौजूद डॉक्टर को दी। डॉक्टर ने जिला चिकित्सालय में रेफर किया गया। महिला को ओ नेगेटिव ब्लड की आवश्यकता थी। रेफर के समय जिला अस्पताल में उपलब्ध नहीं था।

बावजूद अस्पताल में एम्बुलेंस से राजगढ़ ले जाया जा रहा था। कुछ किलोमीटर की दूरी के पहले ही बीएमओ ने वाहन चालक को राजगढ़ में ब्लड नहीं होने की जानकारी देते हुए झालावाड़ ले जाने की बात कही। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पाकर झालावाड़ की ओर रावना हो गया। इस बीच महिला की तबीयत गंभीर हो गई। जिसे इकलेरा के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। जहां डॉक्टर ने महिला को मृत घोषित कर दिया गया। एम्बुलेंस के चालक ने ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर की जानकारी दी। इसके बाद निर्देश पर चालक जीरापुर पहुंचा।

रोते बिलखते हुए परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

जीरापुर पहुचने के बाद परिजनों ने बताया कि जब ब्लड उपलब्ध ही नहीं था तो झालावाड़ नजदीक अस्पताल में क्यों नहीं रेफर किया। मृत महिला की मां ने बताया कि बेटी को झालावाड़ रेफर करने के लिए हमने कहा था लेकिन यहां के स्टाफ ने राजगढ़ रेफर कर दिया। बाद में झालावाड़ ले जाने के लिए कहा बीच रास्ते के ही मेरी बेटी ने दम तोड़ दिया।