मुख्यमंत्री गायों की दुर्दशा पर ध्यान दें और शीघ्र स्थायी समाधान निकालें: अजय सिंह

भोपाल। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने प्रदेश में आवार पशुओं की समस्या को लेकर सवाल उठाते हुए कहा है कि 17-18 सालों में आवारा पशुओं की समस्या ने अब विकराल रूप ले लिया है। आवारा पशुओं के डर से किसान अपनी खेती छोड़ रहे हैं। वही राजमार्गों और अन्य सडक़ों पर आवारा पशुओं के झुण्ड के कारण जानलेवा दुर्घटनायें हो रही हैं, लेकिन पशुधन की रक्षा का ढिंढोरा पीटने वाली केंद्र और राज्य सरकार अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाल पायी है। यदि यही हाल रहे तो भविष्य में एक बड़ी समस्या पैदा हो जायेगी।

अजय सिंह ने कहा कि अब समय आ गया है कि हर ग्राम पंचायत में एक गोशाला खोली जाए। ग्राम पंचायतें जन सहयोग से इसका संचालन करें। गाय के गोबर के व्यावसायिक इस्तेमाल की योजना बनाई जाये। पशुधन से उत्पादित गोबर को सरकार पशुपालकों से खरीदे, जैसा कि छत्तीसगढ़ में हो रहा है। गोबर पर आधारित गैस प्लांट बनाने की महत्वाकांक्षी योजना विशेषज्ञों की राय से संचालित की जा सकती है। विद्युत ऊर्जा भी पैदा की जा सकती है। किसान इसमें पूरा सहयोग करेंगे क्योंकि उनकी फसल नष्ट होने से बचेगी। उन्होंने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने प्रायोगिक तौर पर एक हजार गो शालाएं खोलने की योजना बनायीं थी लेकिन शिवराज सरकार ने इस पर अमल नहीं किया। भाजपा ने गाय और राम मन्दिर के नाम पर राजनीति तो की लेकिन गाय की चिंता नहीं की।

पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने भिंड की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जिले के अकोड़ा में किसान आवारा पशुओं से इस कदर परेशान हो गये थे कि उन्होंने आठ सौ गायों को नगर परिषद् के आफिस में घुसाकर बाहर नारेबाजी कर अपना विरोध प्रदर्शन किया। बीसवीं पशुधन जनगणना में देश में 50 लाख से अधिक आवारा मवेशी हैं। मशीनीकरण के बढऩे से यह समस्या और बढ़ गई है। वर्ष 2015 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि आवारा पशुओं को लेकर सरकार बड़ा फैसला ले, लेकिन उस पर कोई गंभीर कार्यवाही नहीं हुई। अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से अपेक्षा की है कि वे व्यक्तिगत रूचि लेकर समस्या का स्थायी समाधान निकालें, गायों की दुर्दशा पर ध्यान दें। किसानों को आवारा पशुओं से हो रही समस्या को तत्काल दूर करने का रास्ता खोजें।