राधाअष्टमी पर खुले राधारानी मंदिर के पट

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विदिशा। शहर के नंदवाना स्थित वृदावंन गली में रविवार को राधाअष्टमी का पर्व बडे धूमधाम के साथ मनाया गया। यहा हजारों की तदाद में श्रृदाल दर्शन करने पहुंचे और धर्म लाभ लिया। यहां स्थित प्रसिद्ध राधारानी मंदिर के पट साल में एक बार केवल राधाअष्टमी पर खुलते हैं। रविवार को सुबह मंदिर के पट खुलने के बाद से यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और शाम तक दर्शन का सिलसिला जारी रहा। यहां 364 दिन के इंतजार के बाद भक्तों ने राधारानी के दर्शन किए।

सदियों से परंपरा चली आ रही है कि मंदिर मे राधारानी की सालभर तक गुप्त पूजा होती है। सिर्फ एक दिन के लिए आम भक्तों के लिए मंदिर के पट खुलते हैं। यह सिलसिला विगत 330 वर्षों से चला आ रहा है। मंदिर के विशेषता है कि मंदिर आज भी हवेली में स्थापित है।

रविवार को राधाअष्टमी पर राधावल्लभीय राधा रानी मंदिर में राधारानी के दर्शनों के लिए श्रृदालु आतुर दिखाई दिये। मंदिर परिसर में गेट के बाहर भक्त दर्शनों की आस लिये बैठे थे और राधे-राधे के जयकारे लगा रहे थे। मंदिर के पट खुने के बाद लम्बी कतारों में लगकर भक्तों ने दर्शन किये।

उल्लेखनीय है कि औरंगजेब ने जब भारत के मंदिरों को ध्वस्त किया था, उस समय वृन्दावन से वल्लभीय सम्प्रदाय के पूर्वज राधा रानी की मूर्ति लेकर पलायन करके और कई दिनों के सफर के वाद विदिशा पहुंचे थे। यहां कालान्तर में जगह न होने कारण कुछ दिन प्रतिमाओं को खुले में रखा गया, इसके बाद उन्हें हवेली में स्थापित कर दिया। उसके बाद से ही सालभर राधा रानी की गुप्त रूप से पूजा होती है और सिर्फ एक दिन के लिए भक्तों के लिए दर्शनों के लिए मंदिर के पट खोले जाते हैं।

मंदिर के पुजारी मनमोहन शर्मा ने बताया कि देश में बरसाना के बाद विदिशा में राधारानी का प्राचीन मंदिर है। आज भी यह मंदिर में हवेली में बना हुआ है। यहां राधाष्टमी और उसके दूसरे दिन पालना दर्शन के बाद संगीत का आयोजन होता है, जिसमें राधारानी की बधाई गायन होता है। इसके बाद 5 सितंबर को शयन आरती के बाद मंदिर के पट पूरे साल भर के लिए बंद हो जाएंगे।

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