पांढुर्णा में होने वाले गोटमार मेले में फिर चलेंगे पत्थर

0

छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में हर वर्ष होने वाले विश्वप्रसिद्ध गोटमार मेले को को रोकने का इस वर्ष भी प्रयास किया गया, लेकिन बावजूद इसके सैकड़ों वर्ष पुरानी गोटमार मेले की परम्परा में खून बहाये जाने की पूरी तैयारियां जोर शोर से प्रशासन के सामने चल रही है।मेले की विशेष बात यह है कि प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में लोग एक – दूसरे को पत्थर मारकर घायल करते हैं। गोटमार के अवसर पर कलेक्टर सौरव सुमन, पुलिस अधीक्षक विवेक अग्रवाल सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और लगभग 700 पुलिसकर्मियों की विशाल सेना मौजूद रहेंगी। गोटमार मेले में किसी भी अनहोनी से बचने के लिए प्रशासन ने मेले के चप्पे – चप्पे पर खुफिया कैमरे के माध्यम से नजर रखने की तैयारी की गई है। पांच कैमरे और दर्जनों पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में तैनात किए जांएगे।कलेक्टर सौरभ सुमन ने कहा कि परंपरा के नाम पर किसी की हानि हो यह ठीक नहीं है। सर्वप्रथम स्वयं की सुरक्षा सर्वोपरी है। इस वर्ष नदियों में जलस्तर अधिक है इसे देखते हुए अधिक गहरे पानी में ना जाए। गोटमार मेले को दिन के उजाले में ही समाप्त किया जाए तो उचित होगा।

जिला पुलिस अधिक्षक विवेक अग्रवाल ने कहा कि परंपराओं का निर्वाह जरूर होना चाहिए परंतु इसमें कोई दोष हो तो इसका रूप समय के साथ बदलने का निर्णय समाज ने लेना चाहिए। इस बार ड्रोन कैमरों की संख्या बढाई जाएगी। यदि किसी ने किसी को टारगेट कर पथराव किया तो उस पर कडी कार्यवाही की जाएगी।

गोफन चलाने वालों पर कार्यवाही हो

हनुमंती वार्ड के पूर्व पार्षद उमेश उरकडे ने गोटमार मेले के दौरान गोफन चलाकर दर्शकों एवं खिलाडियों की जान से खेलनेवालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही किए जाने की मांग जिला कलेक्टर से की है।डॉक्टरों को शाम तक रोकने की मांग

भूषण केवटे ने कहा कि गोटमार मेले के दिन जिन डॉक्टरों की ड्यूटी अस्पताल में लगाई जाती है वह शाम तक रहना चाहिए। इन्होंने कहा डॉक्टरों को जाने की जल्दी होती ऐसे में शाम के समय घायल होने वाले गोटमार के खिलाडियों को उचित प्राथमिक इलाज नहीं मिल पाता। ऐसे में खिलाडियों को जान का खतरा पैदा हो जाता है या उन्हें मजबूरी निजी अस्पतालों की शरण में जाना पडता है।

Leave a Reply