27 साल पहले कांग्रेस द्वारा बनाये पेसा कानून का श्रेय ना लें शिवराज : कांग्रेस

भोपाल। प्रदेश के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने पेसा कानून बनाने की मुख्यमंत्री शिवराज की घोषणा को कागजी खेल बताया है। उन्होंने कहा कि जो काम हमारी सरकार 27 साल पहले ही कर चुकी है। उसका श्रेय लेने की कोशिश छल की पराकाष्ठा है।

भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस की सरकार पूर्व में ही दिलीप सिंह भूरिया कमेटी की सिफारिशों के आधार पर 1995-96 में वह पेसा कानून लागू कर चुकी है। तब तीन दशक बाद इसकी फिर से घोषणा करने की क्या आवश्यकता है? उन्होंने कहा कि पेसा एक्ट इन स्पिरिट तो कांग्रेस पहले ही लागू कर चुकी है। उसमें निहित प्रमुख अधिकारों को पूर्व में ही नियम बनाकर संरक्षित कर चुकी है।

गुप्ता ने बताया कि एक-आदिवासी की जमीनों के क्रय विक्रय पर भू राजस्व संहिता की धारा 165 (6) के अनुसार प्रतिबंध लगाने का नियम पहले ही प्रावधानित किया जा चुका है। दो-दूसरा प्रमुख अधिकार अगर किसी आदिवासी की जमीन गलत इंटेंशन के आधार पर खरीदी बेची गई है तो उसे धारा 170 के अंतर्गत वापस लेने का अधिकार कांग्रेस पूर्व में ही सुनिश्चित कर चुकी है। तीन-साहूकारी अधिनियम के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में अनियमित साहूकारी को पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। चार- एक्साइज एक्ट में स्थानीय परंपराओं के तहत किसी सीमा तक पारंपरिक तरीके से मदिरा उत्पादन को वैधानिक अनुमति हमारी पूर्ववर्ती सरकारें दे ही चुकी हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि मध्य प्रदेश आदिवासी क्षेत्रों के मामले में प्रमुख राज्य माना जाता है। वर्तमान सरकार द्वारा पूर्व से लागू पेसा एक्ट को फिर से लागू करने की घोषणा पूर्णतया कागजी है क्योंकि इसमें ग्राम समितियों को कोई भी कार्यपालिक अधिकार नहीं दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पूर्व सरकारों ने लघु वनोपज पर आदिवासी जनजाति के लोगों का अधिकार स्वीकार करते हुए सहकारिता के माध्यम से वनोपज संघ के अंतर्गत लाभांश पर कानूनी अधिकार दिया था। जिसके माध्यम से लघु वनोपजों की पहचान करना, संग्रहण करना और वितरण करना सहकारिता के माध्यम से सुनिश्चित किया गया था। पेसा कानून के नए नियमों में वनोपज संघ के औचित्य की कोई भी चर्चा नहीं की गई है।यह आश्चर्यजनक है। गौण खनिज पर कांग्रेस की सरकार पंचायती राज अधिनियम के तहत पूर्व में ही ग्राम समितियों को अधिकार का विस्तार कर चुकी है जिन्हें विगत 18 वर्षों में शिवराज सरकार द्वारा निष्क्रिय किया गया है। उसकी घोषणा भी एक तरह से कांग्रेस के किए हुए कार्य पर अपने नाम की पर्ची चिपकाने का काम है।