किसानों और सरकार में आज 9वें दौर की वार्ता

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किसानों के प्रतिनिधि आज फिर केंद्रीय मंत्रियों से करेंगे मुलाक़ात, सुप्रीम कोर्ट के क़ानूनों पर अमल रोकने और अपनी तरफ़ से समिति बनाने का क्या होगा बातचीत पर असर।

सरकार से वार्ता के लिए विज्ञान भवन पहुँचे किसानों के प्रतिनिधि

सरकार से वार्ता के लिए विज्ञान भवन पहुँचे किसानों के प्रतिनिधि

तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रतिनिधि मोदी सरकार के मंत्रियों के साथ नवें दौर की वार्ता के लिए दिल्ली के विज्ञान भवन में पहुंच गए हैं। तीनों कृषि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक लगाए जाने के बाद यह किसानों और सरकार के बीच पहली वार्ता होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में किसानों के मसले को सुलझाने के लिए अपनी तरफ से चार सदस्यों की एक समिति भी बनाई है। इस समिति के गठन के बाद भी यह सरकार और किसानों के बीच पहली मुलाकात होगी। हालांकि समिति में किसान नेता के तौर पर शामिल किए गए भूपिंदर सिंह मान ने समिति छोड़ दी है। आज की बातचीत में ये देखने वाली बात होगी कि सुप्रीम कोर्ट के कानून रोकने के आदेश और समिति बनाने के एलान का किसानों और सरकार के आपसी संवाद पर क्या असर पड़ता है। 

सरकार से ज़्यादा उम्मीद नहीं : किसान नेता

कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेताओं का कहना है कि वे सरकार के साथ आज बातचीत तो कर रहे हैं लेकिन उन्हों इससे ज्यादा उम्मीद नहीं है। किसान नेताओं का कहना है कि वे तीनों विवादित कानूनों को वापस लिए जाने से कम पर कोई समझौता नहीं करेंगे। इस बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति की पहली बैठक 19 जनवरी को होने की संभावना है। ऐसे में केन्द्र सरकार समिति की बैठक का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर सकती है। 

सरकार तीनों क़ानून रद्द करने और MSP की क़ानूनी गारंटी का तरीक़ा बताए: राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने वार्ता शुरू होने से पहले कहा कि किसान अपनी दोनों पर प्रमुख मागों पर अडिग हैं। हम चाहते हैं कि सरकार तीनों किसान विरोधी कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने का प्लान हमारे सामने रखे। तभी इस मसले का कोई समाधान निकल सकता है।

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