कचरा गाड़ी में ले गए महिला की लाश – पति बोला– मरने के बाद तो इज्जत नसीब हो

CM शिवराज के विधानसभा क्षेत्र में मरने के बाद नसीब में नहीं शव वाहन

सीहोर – “मुझे पत्नी की मौत से ज्यादा इस बात का अफसोस है कि मरने के बाद भी उसे इज्जत नहीं मिल पाई। उसके शव को कचरा ढोने वाली गाड़ी से पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया गया। वो कचरा नहीं थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र में ये हालात हैं, तो दूसरे जिलों में क्या स्थिति होगी? जिंदा लोगों के लिए नि:शुल्क एम्बुलेंस की व्यवस्था है, तो फिर मौत के बाद लाश की इतनी बेइज्जती क्यों?”

सीहोर जिले के बुधनी के रहने वाले पुरुषोत्तम केवट ये कहते हुए फफक पड़ते हैं। वे कहते हैं कि वो मंजर मैं कभी नहीं भूल सकता। जब ये सोचता हूं, तो मेरी आत्मा रो उठती है। बुधनी के वार्ड क्रमांक 12 में पुरुषोत्तम केवल और उसकी पत्नी काजल केवट किराए के घर में रहते थे। दोनों ने सालभर पहले लव मैरिज की थी। काजल प्राइवेट कंपनी में काम करती थी। 25 मई को काजल का शव फंदे पर मिला था। हालांकि, अभी तक इसका कारण सामने नहीं आ सका। उसके शव को बुधनी नगर परिषद की कचरा गाड़ी से पीएम हाउस ले जाया गया। किसी ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया।

बुधनी से ही पांच बार के विधायक हैं शिवराज

बुधनी के हालात की चर्चा इसलिए भी जरूरी है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां से पांच बार विधायक चुने गए हैं। सबसे पहले 1990 में यहां से विधानसभा चुनाव जीते थे। इसके बाद 2005, 2008, 2013 और 2018 में यही से विधायक चुने गए। साल 2003 में राघौगढ़ से दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। ये शिवराज के राजनीतिक जीवन की पहली हार थी।

दैनिक भास्कर ने बुधनी पहुंचकर मामले की पड़ताल की। पता चला कि यहां प्रशासन के पास शव वाहन ही नहीं है। यहां आए दिन ऐसे मंजर देखने को मिलते हैं। प्रशासनिक अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधि तक इस ओर उदासीन नजर आए।

खटिया पर भी शव को लाते हैं

बुधनी में तीन जगह पोस्टमॉर्टम् करने की व्यवस्था है। यहां करीब 40-45 किमी दूर के इलाकों से शव को पीएम के लिए लाया जाता है। इसके बावजूद यहां एक भी शव वाहन नहीं है। ऐसे में नगर परिषद की ट्रॉली से ही शवों को शवगृह तक लाया जाता है। शाहगंज भी इस विधानसभा की एक और तहसील है, वहां से भी शव बुधनी ही लाए जाते हैं।
पिछले साल भी एक युवक ने ऑनलाइन गेम में पैसे हार जाने के बाद फांसी लगा ली थी। तब भी शव को नगर परिषद की कचरा गाड़ी में डालकर पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया गया था। ऐसी घटना भी सामने आई थी, जब एक शव को घर के ही चार लोग खटिया पर ले गए थे।

पीएम हाउस में बिजली नहीं, डॉक्टर्स कीचड़ में करते हैं पीएम

बुधनी के पोस्टमॉर्टम रूम को देखकर ही लगता है, उसका कोई रखवाला नहीं है। स्ट्रैचर बाहर कोने में कहीं पड़ा रहता है। बाहर गंदगी का अंबार है। यहां तक कि पीएम रूम तक जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है। डॉक्टर्स बताते हैं कि बारिश के दिनों में कीचड़ में घुसकर 200 मीटर तक जाना पड़ता है। पीएम रूम में बिजली तक नहीं है। यहां शव रखने के लिए फ्रीजर तक नहीं है। फ्रीजर को लेकर भी कई बार मांग की है, मगर सुनवाई नहीं हुई। डॉक्टर्स बताते हैं कि बिजली नहीं होने से वहां पोस्टमॉर्टम करना मुश्किल हो जाता है। यहां किसी भी तरह की सुविधा नहीं है, लेकिन हम लोग भी लाचार हैं।

कहने को सीएम का क्षेत्र, लेकिन सुविधाएं नहीं

पड़ोस के एक गांव से आए भानु प्रताप अपनी बहन का इलाज कराने अस्पताल आए थे। वो अस्पताल की व्यवस्था पर बिफर पड़े। उन्होंने कहा कि बीमारी यह देखकर नहीं आती कि कौन सा दिन है या कितने डॉक्टर्स उपलब्ध हैं। कहने को तो यह मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र है, मगर सुविधाएं ऐसी कुछ भी नहीं हैं।

चुनावी साल में विपक्ष भी हमलावर

कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि पिछले 15 साल से सरकार में होने के बावजूद शिवराज सिंह बुधनी के विकास के मामले में उदासीन रहे हैं। अगर आप कमलनाथ या दिग्विजय सिंह के क्षेत्र में जाएंगे, तो वहां जितना विकास दिखेगा, वो इसके सामने न के बराबर है। अब वे नया अस्पताल खोल रहे हैं। मगर, क्या फायदा जब डॉक्टर ही नहीं होगा?
साभार – दैनिक भास्कर