नैतिक मूल्यों और आदर्श नागरिकों का निर्माण करते हैं शिक्षक

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(प्रवीण कक्कड़)


जिस प्रकार एक शिल्पकार पत्थर को आकार देता है और कच्ची मिट्टी को तपाकर उसके विकारों को दूर करता है। ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक भी छात्रों के अवगुणों को दूर कर काबिल बनाता है। एक शिक्षक ही है जो मनुष्य को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाता है और जीवन में सही गलत को परखने का तरीका सिखाता है। जैसे एक मजबूत भवन के लिए पक्की नींव जरूरी है, वैसे ही हमें बेहतर जीवन के लिए शिक्षक का सानिध्य और मार्गदर्शन जरूरी है। शिक्षक छात्र के जीवन को मूल्यवान बनाता है। शिक्षक समाज में नैतिक मूल्यों और आदर्श नागरिकों का निर्माण करते हैं।


भारत में प्रतिवर्ष शिक्षकों के सम्मान में 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाया जाता है। इस दिन शिक्षकों को समाज के विकास में उनके अनकहे योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है। ज्ञान ही इंसान को जीने योग्य जीवन की सीख देता है। शिक्षक ज्ञान का वह अविरल स्रोत है, जो लाखों छात्रों के भाग्य का निर्माण करता है। वह ज्ञान का एक ऐसा भंडार है, जो दूसरों को बनाने में स्वयं मिट जाता है। कहा जाता है कि, एक बच्चे के जन्म के बाद उसकी मां पहली गुरू होती है, जो अक्षरों का बोध कराती है। वहीं दूसरे स्थान पर शिक्षक होते हैं, जो हमें काबिल बनाते हैं और सांसारिक बोध कराते हैं। जिंदगी के इम्तिहान में शिक्षकों के सिखाए गए सबक हमें सफलता की बुलंदियों पर ले जाते हैं। प्राचीन काल से ही गुरुओं का हमारे जीवन में विशेष योगदान रहा।


5 सितंबर को भारत देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ राधा कृष्णन का जन्म हुआ था। वह एक महान दार्शनिक शिक्षक भी थे और शिक्षा के क्षेत्र में उनका अहम लगाव था। उन्होंने 40 साल तक शिक्षक के रूप में कार्य किया। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति का भी पदभार संभाल चुके हैं। अपने जीवन काल के दौरान वह एक मेधावी छात्र, प्रसिद्ध शिक्षक, एक बहुप्रसिद्ध लेखक और प्रसाशक भी रहे। साथ ही अपनी प्रतिभा के दम पर ही वह देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति बने। इतने ऊंचे पद पर रहने के बावजूद डॉक्टर साहब की सादगी देखने लायक थी।


रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी एक पुस्तक में डॉ. साहब के जीवन से जुड़े एक किस्से का उल्लेख किया है। जब राधा कृष्णन मॉस्को में भारत के राजदूत थे, तब स्टालिन काफी लंबे समय तक उनसे मुलाकात के लिए राजी नहीं हुए। अंत में दोनों की मुलाकात हुई तो, डॉ. साहब ने स्टालिन को एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि हमारे देश में एक राजा था, जो बड़ा अत्याचारी और क्रूर किस्म का था। उसने काफी खून खराबा मचाया और उसी रक्त के आधार पर प्रगति की। किंतु एक युद्ध में उसके भीतर के ज्ञान को जगा दिया और तभी से उसने शांति और अहिंसा की राह को पकड़ लिया। स्टालिन आप भी उसी रास्ते पर क्यों नहीं आ जाते, स्टालिन ने राधा कृष्णन की इस बात पर कोई ऐतराज नहीं किया और वह मुस्कुरा उठे। इससे आप उनके लोकप्रियता का अंदाजा लगा सकते हैं।


किसी भी देश के बेहतर भविष्‍य का निर्माण उस देश के शिक्षकों के जिम्‍मे रहता है। वे उस देश के नागरिक को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचाने का रास्‍ता दिखाने का काम करते हैं। साथ हीं उन्‍हें सही और गलत को परखने का तरीका भी बताते हैं। इस तरह इंसान की पहली गुरु उसकी मां कही जाती है, जबकि शिक्षक उसे सांसारिक बोध कराने यानी जीवन में आगे बढ़ने का सही मार्गदर्शन करता है। शिक्षक के इसी महत्‍व को देखते हुए हमारे देश में हर साल शिक्षक दिवस मनाया जाता है।


शिक्षक दिवस का महत्व
किसी भी देश का उज्‍जवल भविष्य उस देश के शिक्षकों पर निर्भर करता है। वे युवाओं को सही दिशा में बढ़ने और सही रास्‍ता दिखाने का काम करते हैं। वे ही अपनी शाला में देश के नेताओं, डॉक्‍टर, इंजीनियर, किसान, शिक्षक, व्‍यवसाइयों की नींव डालते हैं और देश की नियति को सही आकार देते हैं। इसके अलावा, समाज में नैतिक और आदर्श नागरिकों के निर्माण में भी उनका अभिन्‍न योगदान होता है। इतनी बड़ी भूमिका निभाने वाले शिक्षकों को सम्‍मान देने के लिए यह दिन मनाया जाता है।

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