शिवराज सरकार किसान और व्यापारी विरोधी, बिजली बिल की तरह ही मंडी शुल्क में कटौती सिर्फ चुनावी लॉलीपॉप- कांग्रेस

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  • सलूजा बोले- सरकार व्यापारियों की सच्ची हितैषी है तो केंद्र के तीन काले कानूनों को प्रदेश में लागू नहीं करने का निर्णय ले
  • शिवराज सरकार ने हाल ही में मंडी शुल्क को 1.70 रुपए से कम कर 50 पैसे करने की घोषणा की है

शिवराज सरकार द्वारा मंडी टैक्स में कटाैती किए जाने काे लेकर कांग्रेस ने हमला बाेला है। कांग्रेस का दावा है कि मंडी शुल्क में कमी का निर्णय बिजली बिल माफी की घोषणा की तरह ही बड़ा धोखा है। यह किसानों के हितों के साथ बंद कमरे में चुनावी सौदा है। एक तरफ किसान विरोधी काले कानून, मंडी मॉडल ऐक्ट और दूसरी तरफ व्यापारियों के साथ भी धोखा? शिवराज सरकार किसान और व्यापारी दाेनाें की विरोधी है। शिवराज सरकार की बिजली बिल की तरह ही मंडी शुल्क में कटौती सिर्फ चुनावी लॉलीपॉप, यह भी धोखा ही साबित होगा।

कांग्रेस नेता और मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने बताया कि जिस तरह प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बिजली बिल को लेकर झूठ बोलकर प्रदेश की जनता के साथ बड़ा धोखा किया, वैसा ही धोखा मंडी शुल्क में कटौती के नाम पर व्यापारियों से भी किया है। मंडी ऐक्ट लाकर और नए तीन किसान विरोधी काले कानून लाकर किसानों के साथ पहले से ही भाजपा धोखा कर चुकी है।

सलूजा ने बताया कि शिवराज सिंह ने कोरोना महामारी में भारी भरकम बिजली बिलों की मार झेल रही जनता से पहले कहा था कि लॉकडाउन की अवधि के बिजली बिल माफ होंगे, बाद में पलट गए और कहा स्थगित होंगे, फिर कहा कुछ लोगों के एक किलोवाट तक के ही स्थगित होंगे, उनकी भी बाद में जांच करेंगे? वैसे ही उनकी दूसरी घोषणा मंडी शुल्क को 1.70 रुपए से कम कर 50 पैसे करने की, यह भी व्यापारियों के साथ सिर्फ़ धोखा है, यह भी सिर्फ चुनावी लॉलीपॉप है, क्योंकि शिवराज जी खुद यह स्पष्ट कर चुके हैं कि यह घोषणा अभी अस्थायी है, यह स्थायी नहीं है। बाद में घट-बढ़ यानी आय की समीक्षा कर इस पर निर्णय लेंगे?

सलूजा ने कहा कि इसी से समझा जा सकता है कि चुनाव निपटते ही राजस्व घाटे के नाम पर इस घोषणा को वापस ले लिया जाएगा। व्यापारियों के साथ बैठक में भी 28 उपचुनावों पर बात हुई, इसी से समझा जा सकता है कि यह सिर्फ चुनावी घोषणा है। मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन काले कृषि कानूनों को लेकर देशभर में किसान पहले से ही आक्रोशित हैं, मंडी एक्ट से भी किसानों में भारी नाराजगी है और मंडी शुल्क में कमी की मांग को लेकर व्यापारियों में भी नाराजगी थी, वो 12 दिन से हड़ताल पर थे। किसानों की उपज बिक नहीं पा रही थी, इसलिए आगामी उपचुनाव की दृष्टि से सिर्फ नाराजगी दूर करने के लिए यह घोषणा की गई है।

सलूजा ने कहा कि यदि शिवराज सरकार किसानों की व व्यापारियों की सच्ची हितैषी है तो उसे केन्द्र सरकार के तीन काले कानूनों को प्रदेश में लागू नहीं करने का निर्णय लेना चाहिए, मॉडल मंडी ऐक्ट के निर्णय को वापस लेना चाहिए, मंडी शुल्क में स्थायी रूप से कमी का निर्णय लेना चाहिए। लेकिन सभी जानते हैं शिवराज की घोषणाओं की स्थिति, उनकी वास्तविकता की उनकी घोषणाएं कभी पूरी नहीं होती, कभी अमल में नहीं आती, कभी निर्णय नहीं बनती है, वह सिर्फ घोषणा बनकर ही रहती हैं। शिवराज सरकार किसान और व्यापारी दोनों विरोधी है।

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