हाईकोर्ट का नौ जिलों के कलेक्टर और एसपी को कोविड-19 प्रोटोकाॅल के उल्लंघन को लेकर अल्टीमेटम

कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए बनाई गई गाइडलाइन की अनदेखी करना अब भारी पड़ेगा। कोरोना काल में राजनीतिक आयोजनों पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस शील नागू और जस्टिस राजीव श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने कहा- केंद्र व राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने कोविड-19 के संबंध में जो गाइडलाइन तैयार की हैं, उनका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ संबंधित जिले के अधिकारी (कलेक्टर और एसपी) आपदा प्रबंधन अधिनियम और आईपीसी के प्रावधानों के अंतर्गत कार्रवाई करेंगे।
कार्रवाई केवल कार्यक्रम में शामिल लोगों के समूह के खिलाफ नहीं होगा, बल्कि आयोजकों के खिलाफ भी होगी। ऐसा नहीं करने पर संबंधित जिले के अधिकारियों को अवमानना का दोषी माना जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।
कोर्ट ने ग्वालियर, भिंड, मुरैना, दतिया और शिवपुरी के कलेक्टर और एसपी से वीसी के माध्यम से चर्चा कर जानने का प्रयास किया कि आखिर आदेश के पालन में क्या परेशानियां सामने आ रही हैं। चर्चा में यह बात सामने आई कि लोगों में अज्ञानता के कारण गाइडलाइन का पालन नहीं हो पाता। बड़ी संख्या में लोगों के खिलाफ बल का प्रयोग भी उचित नहीं हैै। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने ग्वालियर, भिंड, मुरैना, दतिया, शिवपुरी, अशोकनगर, गुना, श्योपुर, विदिशा कलेक्टर व एसपी को कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करने का निर्देश दिया।
दलाें काे सलाह…इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से करें चुनाव प्रचार
हाईकोर्ट ने आदेश में राजनीतिक दलों को परंपरागत तरीके से चुनाव प्रचार न करने की सलाह दी है। हाईकोर्ट ने कहा, ऐसे समय में जनसंपर्क के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम को चुनना चाहिए। कोर्ट ने संक्रमण को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि राजनीतिक कार्यकर्ताओं को यह याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि न केवल हमारा देश बल्कि पूरा विश्व इस महामारी से बीते सात माह से जूझ रहा है।
यह समय अंतरराष्ट्रीय विपदा का है, जिसमें मानव सभ्यता का अस्तित्व ही खतरे में हैं। ऐसे में राजनीतिक कार्यकर्ताओं व सरकारी अधिकारियों को इस अवसर का लाभ उठाते हुए अदृश्य शत्रु (कोविड-19) से राष्ट्र की रक्षा करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि नेताओं को कानून का पालन करते हुए लोगों के लिए आदर्श स्थापित करना चाहिए।