कृषि बिल के विरोध में पंजाब के किसानों का रेल रोको आंदोलन, 28 ट्रेनों को करना पड़ा रद्द

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किसानों के आंदोलन को देखते हुए रेलवे ने 24 से 26 सितंबर तक पंजाब में रेल परिचालन पूरी तरह से किया बंद, इस दौरान कोई भी यात्री व पार्सल ट्रेनें नहीं जाएगी पंजाब

चंडीगढ़। केंद्र की मोदी सरकार के कृषि सुधार से जुड़े तीन विवादास्पद विधेयकों का देशभर में विरोध बढ़ता जा रहा है। राज्यसभा में दो विधेयक पारित होने के बाद से संसद से लेकर सड़क तक हुए हंगामे के बीच किसानों ने कल यानी शुक्रवार (25 सितंबर) को भारत बंद का आह्वान किया है। इस बिल का सबसे ज्यादा विरोध पंजाब और हरियाणा में देखने को मिल रहा है। भारत बंद के एक दिन पहले गुरुवार को पंजाब के किसानों ने ‘रेल रोको आंदोलन’ शुरू किया है।

रेल रोको आंदोलन के तहत प्रदेशभर में किसान रेल पटरियों पर धरने पर बैठ गए हैं। किसानों के इस आंदोलन की वजह से दिल्ली से आने जाने वाली दर्जनों ट्रेनें बाधित हुई हैं। किसानों के प्रदर्शन और आक्रोश को देखते हुए फिरोजपुर रेल मंडल ने सभी ट्रेनों का परिचालन 24 से 26 सितंबर तक के लिए रद्द कर दिया है। इस दौरान कुल 28 ट्रेनों का परिचालन रूक गई है। रेलवे ने बताया है कि इस बीच कोई भी यात्री या पार्सल ट्रेन पंजाब नहीं जाएगी। ट्रेनों को अंबाला कैंट, सहारनपुर और दिल्ली स्टेशन पर टर्मिनेट किया जाएगा।

राज्य सरकार ने जारी किया अलर्ट

किसानों के प्रदर्शन को लेकर राज्य सरकार के गृह विभाग ने सभी जिलों के लिए अलर्ट जारी किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पंजाब सरकार ने पुलिस और प्रशासन को हिदायत दी है किसानों के जत्थे पर कोई सख्त जबदस्ती न कि जाए और उनके प्रति नरम रवैया अपनाया जाए। इसके साथ ही राज्य सरकार ने एम्बुलेंस सेवा, डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा स्टाफों को किसी भी अप्रिय घटना के लिए भी तैयार रहने को कहा है।

बिल वापस नहीं लिया तो और तेज होगा आंदोलन

किसानों ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि राज्यसभा में हंगामे के बीच ध्वनिमत से पारित कराए गए इन बिलों को वापस नहीं लिया तो उनका आंदोलन और तेज होगा। देश के प्रमुख चावल और गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब और हरियाणा के विरोध प्रदर्शनों से साफ है कि कोरोना महामारी के बीच केंद्र ने भले ही इन्हें पारित करवा लिया हो लेकिन किसान इन बिलों को स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। किसानों को इस बात की डर है कि इस बिल के लागू होने के बाद उन्हें अपने उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पाएगा।

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