एमआईटीएस काॅलेज के एसोसिएट प्रोफेसर ढाई घंटे ऑटो में सांसें गिनते रहे, इलाज नहीं मिलने से हुई मौत

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  • परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर भर्ती न करने का आरोप लगाया
  • डाॅ. गर्ग का कुछ दिन पहले एक्सीडेंट हुआ था पर अस्पताल में बेड खाली नहीं होने से भर्ती नही किया गया

एमआईटीएस काॅलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. विमल गर्ग की मंगलवार शाम को लगभग पांच बजे आरजेएन अपोलो स्पैक्ट्रा अस्पताल के बाहर मौत होने पर परिजन ने हंगामा कर दिया। कॉलेज के इलेक्ट्रॉनिक्स डिपार्टमेंट में पदस्थ डाॅ. गर्ग का कुछ दिन पूर्व एक्सीडेंट हुआ था। परिजनों ने आरोप लगाया कि समय पर अस्पताल पहुंचने के बाद भी मरीज को भर्ती नहीं किया गया। लगभग ढाई घंटे वे ऑटो में ही लेटे रहे और वहीं उन्होंने दम तोड़ दिया।

वहीं अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि मरीज के परिजनों ने स्टाफ के साथ अभद्रता की। वस्तुस्थिति से अवगत कराने के बाद भी परिजन मरीज को दूसरे अस्पताल नहीं ले गए। घटनाक्रम की जानकारी लगते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। परिजनों ने पुलिस थाने में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ आवेदन भी दिया है, लेकिन देररात तक कोई मामला दर्ज नहीं हुआ था।

दरअसल, कुछ दिन पूर्व डाॅ. गर्ग सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। उनके परिजनों ने बताया कि मंगलवार सुबह वह साईं बाबा मंदिर के पास स्थित अस्पताल पहुंचे और डाॅक्टर को रिपोर्ट दिखाई। डाॅक्टर ने उनसे मरीज को लाने के लिए कहा। दोपहर ढाई बजे के लगभग जब वे डाॅ. गर्ग को लेकर पहुंचे तो वहां मौजूद स्टाफ ने कहा कि अस्पताल में बेड खाली नहीं है। इसको लेकर उनका स्टाफ से विवाद हो गया। मरीज की दयनीय हालत को देखने के बाद भी इलाज नहीं दिया गया।

उनकी हालत गंभीर थी, आईसीयू में बेड खाली नहीं था: डॉ. भसीन

अस्पताल के संचालक डाॅ. पुरेंद्र भसीन का कहना है कि मरीज के परिजन पहले अस्पताल में आए थे और इलाज के संबंध में चर्चा भी की थी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया था कि वे मरीज को लेकर कब आएंगे। जिस समय वे मरीज को लेकर आए, उनकी हालत काफी गंभीर थी। स्टाफ को यह भी नहीं मालूम था कि मरीज का केस क्या है? ऐसे मामलों में स्टाफ निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए मरीज का इलाज करता है, लेकिन परिजनों ने आते ही ऐसा माहौल बनाया कि दहशत फैल गई।

हमने बताया कि आईसीयू में बेड खाली नहीं है। मरीज की हालत देखकर हमने यहां तक कहां कि वे चाहें तो हमारे अस्पताल की एंबुलेंस से मरीज को अन्य अस्पताल ले जाएं, लेकिन परिजन नहीं माने और अभद्रता करने लगे। मरीज की हालत बिगड़ती देख हमने ऑक्सीजन भी लगाई, ताकि वे स्थिर हो सकें। इस दौरान भी परिजनों का रवैया ठीक नहीं था।

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