बालाघाट में झाम सिंह की हत्या के मामले में सियासत तेज

0

मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश की सीमा में 6 सितंबर को दो आदिवासियों झामसिंह ध्रुर्वे और नेमसिंह ध्रुर्वे पर अकारण ही गोली चलाई गई. जिससे झामसिंह ध्रुर्वे की मौत हो गई. इस मामले में छत्तीसगढ़ के वनमंत्री ने शिवराज सरकार को पत्र लिख उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

भोपाल: बालाघाट में झाम सिंह की हत्या के मामले में सियासत तेज हो गई है. इस पर अब कांग्रेस नेता ने बीजेपी की मंशा पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस नेता ने कहा झाम सिंह को जबरन नक्सली बताकर मारा गया है. वह किसी नक्सली मूमेंट में शामिल नहीं था. इस मामल में छत्तीसगढ़ के वनमंत्री ने भी शिवराज सरकार को पत्र लिख जवाब मांगा था. 

नक्सली नहीं था, तो बारूद किसने पहुंचाया?

कांग्रेस नेता ने अपने बयान में कहा कि झाम सिंह किसी भी नक्सली मूवमेंट में शामिल नहीं था. छग के मंत्री के पत्र का जवाब देने की जगह चुनावी रैलियों में व्यस्त हैं. छग की जांच में ये सामने आया है कि झाम सिंह निर्दोष है. अगर वो निर्दोष है तो उसके पास असला बारूद कहां से आया? क्या वो नक्सली था और नहीं था तो उसके पास असला बारूद किसने पहुंचाया. मप्र पुलिस को ये स्पष्ट करना चाहिए. 

निर्दोष आदिवासी पर सीएम खामोश

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा ने भी बालाघाट पुलिस की कार्रवाई के जरिए सरकार को घेरा है. केके मिश्रा ने कहा कि मप्र के बालाघाट में छत्तीसगढ़ के एक आदिवासी की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई है. दिन भर खूब बोलने वांले मुख्यमंत्री जी आज तक उस निर्दोष आदिवासी की मौत पर खामोश हैं. छत्तीसगढ़ के वन मंत्री ने हमारे मुख्यमंत्री जी को दो पत्र लिखे है. उसपर भी हमारे मुख्यमंत्री बेबस हैं. केके मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी आप भांजे भांजी भाई बहन के लिए चिंतित रहते हैं लेकिन इस असली मामा की मौत पर आप खामोश हैं.

छत्तीसगढ़ के वनमंत्री शिवराज सरकार को लिखा था लेटर

कबीरधाम जिले के निवासी झामसिंह ध्रुर्वे की मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा गोली चलाने से हुई मौत के मामले में छत्तीसगढ़ के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को पत्र लिखकर उच्चस्तरीय जांच की मांग है. वन मंत्री ने कहा था कि मध्य प्रदेश पुलिस की गोली से मरने वाले झामसिंह ध्रुर्वे, कबीरधाम जिले के विकासखंड बोड़ला अंतर्गत ग्राम बालसमुंद के निवासी थे. वे आदिवासी वर्ग से ताल्लुक रखते थे. उनको पुलिस ने अकारण ही मार दिया. 

क्या है मामला?

मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश की सीमा में 6 सितंबर को दो आदिवासियों झामसिंह ध्रुर्वे और नेमसिंह ध्रुर्वे पर अकारण ही गोली चलाई गई. जिससे झामसिंह ध्रुर्वे की मौत हो गई और नेमसिंह ध्रुर्वे पर गोली का निशाना चूक गया था. अगले दिन झाम सिंह का शव जंगलों में मिला था. इस घटना को लेकर आक्रोशित परिजन और ग्रामीण झलमला थाना पहुंचे. जहां उन्होंने इस मामले को हत्या करार देते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. परिजनों का कहना था कि झामसिंह 6 सितंबर को अपने एक साथी के साथ बॉर्डर के पास नदी में मछली मारने गये थे, शाम को लौटते समय कुछ वर्दीधारी आवाज लगाकर रोकने लगे, तब झामसिंह व उसका साथी डर के कारण भागने लगे तो पीछे से गोली लगा चला दी गई. 

हालांकि मध्य प्रदेश पुलिस का तर्क है कि दोनों के पास अवैध असला और खाने-पीने की चीजें थीं. जब दोनों को रोकने के लिए कहा गया था तो वह भागने लगे. इसी कारण पुलिस जवानों ने गोली चला दी थी. पुलिस इस मामले में जांच भी कर रही है.

Leave a Reply