मुनाफाखोरों ने तलाशा आपदा में अवसर, मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन के दाम हुए दोगुने

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भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के चलते अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत तीन गुना तक बढ़ गई है। इधर, ऑक्सीजन की किल्लत की भनक लगते ही मुनाफाखोरी शुरू हो गई है। आपदा को अवसर बनाकर उत्पादक व वितरक महंगे दाम में ऑक्सीजन बेच रहे हैं। प्रदेश में ऑक्सीजन सिलेंडरों के दाम दोगुने से ज्यादा हो गए हैं।

10 रुपये प्रति घन मीटर की ऑक्सीजन अब 25 रुपये घन मीटर के भाव मिल रही है। 2500 का सिलेंडर 6000 का हुआ मप्र को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली महाराष्ट्र की कंपनी आइनॉक्स ने भी दाम 20 रुपये प्रति घनमीटर कर दिए हैं, वहीं तरल ऑक्सीजन के दाम भी 20 रुपये प्रति घन मीटर हो गए हैं।

एक सिलेंडर में लगभग 250 घन मीटर ऑक्सीजन आती है। इस तरह 2500 में मिलने वाला सिलेंडर अब 6 हजार 250 रुपये में मिल रहा है। इससे अस्पतालों में ऑक्सीजन का बिल भी दोगुने से ज्यादा हो गया है। एनएचएम ने अतिरिक्त फंड दिया राष्ट्रीय हेल्थ मिशन (एनएचएम) ने प्रदेश के सभी जिलों के लिए एक करोड़ रुपये ऑक्सीजन के लिए अलग से जारी किए हैं। सबसे ज्यादा 22.93 लाख रुपये उज्जैन को दिए गए हैं।

मांग-आपूर्ति की नियमित निगरानी

शासन स्तर से अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति की नियमित निगरानी की व्यवस्था की गई है। संभाग स्तर पर बायोमेडिकल इंजीनियर नियुक्त किए गए हैं। उप-संचालक स्तर के अधिकारी को इसकी निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है। ये अधिकारी प्रतिदिन प्रत्येक जिले में ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति की जानकारी संचालनालय को दे रहे हैं। अब तक ऑक्सीजन का ऐसा कोई संकट नहीं आया था। पहली बार यह स्थिति बनी है। ऑक्सीजन पूर्व निर्धारित दाम पर ही खरीदी जा रही है, लेकिन अगर मुनाफाखोरी हो रही है तो इसे रोका जाएगा। साथ ही संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।

-विश्वास सारंग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री, मप्र

पहले जो ऑक्सीजन 10 रुपये घन मीटर मिलती थी वह अब 25 रुपये घनमीटर मिल रही है। इसके पीछे कारण यह है कि जिनके पास भी तरल ऑक्सीजन का स्टॉक है वे महंगे दाम पर बेच रहे हैं।

-एमसी तिवारी, सीईओ, भारती एयर प्रॉडक्ट, गोविंदपुरा

तरल ऑक्सीजन मार्केट में उपलब्ध नहीं है। इस कारण ऑक्सीजन के दाम बढ़ गए हैं। हमने तो सिलेंडर की सप्लाय ही बंद कर दी है क्योंकि पहले के मुकाबले दोगुने दाम पर तरल ऑक्सीजन मिल रही है। इंडस्ट्री में ऑक्सीजन न होने से उनका काम भी बंद पड़ा हुआ है।

-नरेंद्र भार्गव, मैनेजर, भार्गव कंपनी, मंडीदीप

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