इंदौर के साथ मध्यप्रदेश सरकार का सौतेला व्यवहार, रैंकिंग में पिछड़ने का खतरा

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अभी देश में तीसरे नंबर पर है इंदौर। राज्य ने अपने हिस्से के तो 300 करोड़ दिए नहीं, केंद्र के भी 50 करोड़ रुपये रोक लिए।

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत देश में सबसे अच्छा काम करने वाले शहरों की सूची में तीसरा नंबर पर रहे इंदौर के साथ राज्य सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। मिशन के तहत सरकार अपने हिस्से के 300 करोड़ रुपये तो दे नहीं रही, अपितु केंद्र ने जो 50 करोड़ रुपये की किस्त भेजी है, वह भी रोककर बैठ गई है। इससे विकास कार्यों को जारी रखना कठिन होता जा रहा है। यदि शीघ्र ही यह राशि नहीं मिली तो इंदौर स्मार्ट सिटी रैंकिंग में तो पिछड़ेगा ही, जो चुुनिंदा बड़े काम हो रहे हैं, वे भी बंद हो जाएंगे।

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत केंद्र और राज्य सरकारों को 500-500 करोड़ रुपये देना हैं। 2015-16 से अब तक केंद्र सरकार 500 करोड़ रुपये में से 390 करोड़ रुपये दे चुकी है जबकि राज्य सरकार ने केवल 200 करोड़ रुपये दिए हैं। पिछले दिनों इंदौर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कंपनी लि. ने नगरीय विकास विभाग से आग्रह भी किया था कि वह जारी कार्यों को पूरा करने के लिए 60 करोड़ रुपये की राशि जारी करे।

नहीं मिली राशि तो इन प्रोजेक्टों पर पड़ेगा असरः

  • राजवाड़ा : राजवाड़ा पुनः उद्धार के तहत मुख्य इमारत के बाहरी हिस्से में सुधार कार्य। 10 करोड़ रुपये की जरूरत है
  • स्लज ट्रीटमेंट प्लांट : कबीटखेड़ी में संयंत्र लगाने के लिए 20 करोड़ रुपये की जरूरत है।
  • एमओजी लाइंस पुनर्विकास : स्मार्ट सिटी कंपनी सड़क, बिजली, पानी, सीवरेज आदि मूलभूत सुविधाएं जुटाने के लिए 20 करोड़ रुपये की जरूरत है।

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