चावल घोटाले में मिलर्स को राहत देने का नया खेल शुरू, नया पैंतरा अपनाया

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  •  जो घटिया चावल पांच दिन में बदलना था, वो अब बदल रहे
  • याचिका- ईओडब्ल्यू की जांच में संभव इस षड्यंत्र का खुलासा न हो इसलिए जांच सीबीआई को दी जाए

इंसानाें काे जानवराें का चावल बांटने के मामले में नया खेल शुरू हाे गया है। इस मसले काे खत्म करने के लिए घटिया चावल मिलर्स काे लाैटाकर नया अच्छा चावल लेने की कवायद जबलपुर से शुरू हो गई है। यहां 30 हजार टन घटिया चावल बदला जाएगा। जबकि अनुबंध की शर्ताें के मुताबिक घटिया चावल कस्टम मिलिंग प्रक्रिया के पांच दिन के भीतर बदल दिया जाना चाहिए था।

दूसरी ओर, इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग को लेकर नागरिक मंच के अध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे तथा डॉ. एमए खान की ओर से एक याचिका हाईकोर्ट में लगाई गई है। इस पर अगले सप्तार सुनवाई हो सकती है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा है कि घटिया चावल के बाद अब सड़ा हुआ गेहूं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बांटा जा रहा है। इसमें भी भ्रष्टाचार की बू आ रही है। इस भ्रष्टाचार का पैसा आखिर किसकी जेब में जा रहा है।

याचिका में आरोप : ईओडब्ल्यू से जांच संभव नहीं

याचिका में कहा गया है कि करोड़ों रुपए की इस गड़बड़ी के तार दूसरे प्रदेशों से भी जुड़े हुए प्रतीत हो रहे हैं। इसमें अफसरों की व्यापक मिलीभगत की आशंका है। ईओडब्ल्यू की जांच में संभव इस षड्यंत्र का खुलासा नहीं हो सकता। इसलिए जांच सीबीआई को दी जाए।

जिला प्रबंधकों से मांगी अच्छी धान

बुधवार को खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम ने बालाघाट, जबलपुर, सिवनी, मंडला, कटनी, रीवा, सतना और दमोह जिले के जिला प्रबंधकों को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि कस्टम मिलिंग के लिए गुणवत्ता का धान दिया जाए, ताकि मिलर्स के पास से अच्छा चावल आए।

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