मक्का की फसल तैयार, सुध नहीं ले रही है शिवराज सिंह सरकार

मध्य प्रदेश में मक्का उपजा कर किसान दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक नहीं पहुंच रही किसानों की आवाज़।
भोपाल। मध्यप्रदेश में मक्का की फसल पक कर तैयार है। मक्का किसान अब अपने फसल की बिक्री और उचित दाम प्राप्त करने की राह देख रहे हैं। लेकिन अब तक न तो सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है और न ही कोई ऐसी सूचना है कि जिससे यह पता चल पाए कि सरकार उनके फसल की खरीदी करने पर विचार कर रही है।
इस समय मक्का के किसान अपनी फसल औने पौने दाम पर बेचने के लिए तैयार हैं। प्रति क्विंटल मक्के पर किसानों को लगभग 1300 रुपए की लागत लगती है। मक्का के किसान 1700 रुपए प्रति क्विंटल अपने फसल की एमएसपी निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन किसानों को महज़ 700 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है। प्रदेश के किसानों के पास ऐसी परिस्थिति में घाटा सेहने के अलावा और कोई दूसरा चारा नहीं है।
मक्का के किसान इस समय दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं। उनकी आवाज़ को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक पहुंचाने के लिए खुद पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ कई बार लिख चुके हैं। कमल नाथ ने कई बार शिवराज सिंह चौहान को मक्का के किसानों की स्थिति से अवगत कराया है। लेकिन सरकार है कि किसानों की सुध लेने को तैयार ही नहीं है।
किसानों की समस्या के लिए कितनी ज़िम्मेदार है केंद्र सरकार?
ऐसा नहीं है कि मक्का के किसानों की इस स्थिति की ज़िम्मेदार केवल राज्य सरकार है। केन्द्र सरकार भी कमोबेश वही किरदार निभा रही है, जिससे मक्का के किसानों को आर्थिक दंश झेलते रहने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसा भी नहीं है कि किसानों के लिए यह समस्या तत्कालिक है।
मक्का के किसान इस समय दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं। उनकी आवाज़ को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक पहुंचाने के लिए खुद पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ कई बार लिख चुके हैं। कमल नाथ ने कई बार शिवराज सिंह चौहान को मक्का के किसानों की स्थिति से अवगत कराया है। लेकिन सरकार है कि किसानों की सुध लेने को तैयार ही नहीं है।
किसानों की समस्या के लिए कितनी ज़िम्मेदार है केंद्र सरकार?
ऐसा नहीं है कि मक्का के किसानों की इस स्थिति की ज़िम्मेदार केवल राज्य सरकार है। केन्द्र सरकार भी कमोबेश वही किरदार निभा रही है, जिससे मक्का के किसानों को आर्थिक दंश झेलते रहने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसा भी नहीं है कि किसानों के लिए यह समस्या तत्कालिक है।
मक्के का आयात किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर देगा
मक्के का इतने कम शुल्क पर आयात, मक्के की खेती करने वाले किसानों को परेशानी में डालने वाला निर्णय साबित होगा। ज्ञात हो कि देश भर में मक्का किसान पहले ही मक्के पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने के लिए तरस रहे हैं। मक्के की पैदावार करने में प्रति क्विंटल 1300 रुपए की लागत लगती है। किसान मक्के की 1700 रुपए प्रति क्विंटल पर खरीदी की मांग कर रहे हैं। लेकिन भाव के गिर जाने से पहले ही किसानों को मक्का अपनी लागत से भी कम मूल्य पर बेचना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा मक्का बाहर से इतने कम शुल्क पर आयात करने का लिया गया यह निर्णय किसी भी तरह से मक्का के किसानों के हित में सिद्ध होता प्रतीत नहीं हो रहा है।