मध्यप्रदेश में बिजली बिल माफ नहीं स्थगित हुए हैं

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भोपाल। मध्य प्रदेश की सरकार जनता के साथ पहले दुकानदार और फिर कारपोरेट कंपनी की तरह व्यवहार करती थी लेकिन अब उस साहूकार की तरह काम कर रही है जो नरम दिल होने का दिखावा करता है परंतु अपने ब्याज की चवन्नी तक नहीं छोड़ता। 

मीडिया में ब्रेकिंग न्यूज़ थी: 1 किलो वाट तक के बिजली बिल का बकाया माफ 

शुक्रवार 28 अगस्त 2020 को लंच से पहले मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ यह थी कि शिवराज सिंह सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण के कारण आर्थिक समस्या से जूझ रही जनता को राहत देने के लिए 1 किलो वाट तक के 31 अगस्त 2020 तक के सभी बकाया बिजली बिल माफ कर दिए हैं। समीक्षा के दौरान यह भी माना गया कि सरकार ने उप चुनाव को ध्यान में रखते हुए जनता को फायदा पहुंचाया है ताकि वोटों में कमी ना आए।

बिजली बिल माफी नहीं आस्थगित आदेश जारी हुए हैं 

सरकार ने बड़ी ही चतुराई के साथ सरकारी शब्दावली का उपयोग किया है। श्री आकाश त्रिपाठी सचिव ऊर्जा मध्यप्रदेश की ओर से तीनों बिजली कंपनियों की है मैनेजिंग डायरेक्टर को जो आदेश दिए हैं उसमें बिजली बिलों को आस्थगित करने के लिए कहा है। यानी 31 अगस्त 2020 तक का बकाया सितंबर और अक्टूबर में प्राप्त होने वाले बिजली बिलों में दिखाई नहीं देगा, बल्कि उपभोक्ता के उधारी खाते में दर्ज रहेगा। उपचुनाव के बाद बकाया की वसूली पर निर्णय लिया जाएगा। यदि आप हिंदी से इंग्लिश डिक्शनरी की मदद लेंगे तो आपको पता चलेगा कि आस्थगित का अर्थ होता है अंग्रेजी: deferred, वाणिज्य: स्थगित, हिंदी: विलम्बित, उर्दू: मुल्तवी सरल शब्दों में ऐसी उधारी जिसकी वसूली फिलहाल रोक दी जाए, बाद में की जाएगी।

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