भोपाल मास्टर प्लान 2031 हानिकारक है, मध्यप्रदेश सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस

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भोपाल। जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राजधानी भोपाल के मास्टर प्लान 2031 के संदर्भ में प्रस्तुत हुई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शासन को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता पूर्व डीजीपी अरुण गुर्टू ने आरोप लगाया है कि मास्टर प्लान में बिल्डर्स को फायदा देने के लिए भोपाल का पर्यावरण, वन क्षेत्र और वन्य प्राणियों को खत्म करने की प्लानिंग की गई है।

नए मास्टर प्लान में भोपाल के पूरे ग्रीन बेल्ट को खत्म किया जा रहा है

भोपाल सिटिजन फोरम के पूर्व डीजीपी अरुण गुर्टू ने यह जनहित याचिका दायर की है। वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व अधिवक्ता रोहित जैन ने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये दलील दी कि T&CP संचालक ने 10 जुलाई 2020 को भोपाल का नया मास्टर प्लान 2031 अधिसूचित किया। जबकि इसको लेकर बड़ी संख्या में आपत्तियां दर्ज कराई गई थीं। प्लान में बहुत गड़बड़ियां हैं। पूरे ग्रीन बेल्ट को कमर्शियल किया जा रहा है। 

भोपाल में जहां मोर, बाघ और बंदर रहते हैं वहां प्लॉट काटे जाएंगे

वन क्षेत्र जहां बाघों का कुनबा है, उसे आवासीय घोषित किया गया। प्लान में प्लानिंग एरिया पहले के 600 वर्ग किमी की अपेक्षा बढ़ाकर करीब 1016 वर्ग किमी कर दिया गया। इसमे भी 850 वर्ग किलो मीटर को विकास कार्यों के लिए प्रस्तावित किया गया, जो आबादी के लिहाज से बहुत अधिक है। 

भोपाल के तालाब के कैचमेंट एरिया में कंस्ट्रक्शन की परमिशन दे दी

यह प्लानिंग 2031 में शहर की आबादी 36 लाख हो जाने का आंकलन करते हुए की गई। जबकि 2031 तक शहर की आबादी महज 26 लाख ही होने का अनुमान है। इसके अलावा 70% ग्रीन क्षेत्र कम कर दिया गया। वन्य जीवन, पर्यावरण और जलस्रोतों का भी ख्याल नही रखा गया। बड़ी झील के कैचमेंट एरिया में बाघों का मूवमेंट होने के बावजूद यहां निर्माण की अनुमति दे दी गई। प्रति हेक्टेयर 42 लोगों के हिसाब से प्लानिंग होनी थी, लेकिन 100 व्यक्ति के हिसाब से की गई। 

भोपाल का मास्टर प्लान 2031 पर्यावरण, वन्य प्राणी और जल स्रोतों के लिए घातक है

यह प्लान शहर के पर्यावरण, वन्य जीवन, जलस्रोतों, ग्रीन बेल्ट के लिए घातक है। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज कराई। लेकिन इसे दरकिनार कर दिया गया। आग्रह किया गया कि भोपाल मास्टर प्लान 2031 को निरस्त करने व विभिन्न जनहित से जुड़े पहलुओं का ध्यान रखते हुए इसे फिर से बनाने के निर्देश दिए जाएं। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका में बनाए गए अनावेदकों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पेन्द्र यादव ने सरकार की ओर से नोटिस स्वीकार कर जवाब के लिए समय मांग लिया।

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