भोपाल में 11 दिन में हो गयी 80 प्रतिशत बारिश, बारिश का कोटा 43.64 इंच

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इस बार मानसून सीजन में माैसम का मिजाज कुछ अलग ही रहा। सीजन में अब तक 85 दिनाें में से सिर्फ 11 दिनाें में ही 80.21% बारिश हाे गई। बाकी 74 दिन शहर काे रिमझिम फुहाराें या हल्की बारिश से तसल्ली करनी पड़ी। इस बार जून के 5, जुलाई के 2 और अगस्त के 3 दिन की बारिश ने ही जरूरत पूरी कर दी। इस बार मई में नाैतपा खत्म हाेने के पहले ही माैसम के तेवर बदल गए थे। सबसे ज्यादा तपने वाले ये नाै दिन ज्यादा नहीं तपे। लगातार नाै दिन तापमान बढ़ने के बजाय कम हाेता गया।

नाैतपा खत्म हाेते ही शहर में बारिश का सिलसिला शुरू हाे गया था। मानसून की दस्तक के बाद ताे मानाे मानसून ज्यादा ही मेहरबान हाे गया। 16 जून काे मानसून की दस्तक के दाे दिन लगातार दिन तीन दिन झमाझम हाे गई। माैसम वैज्ञानिक एचएस पांडे का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ, लेकिन ऐसा बहुत कम हाेता है।

52 दिन रुठा रहा मानसून

जुलाई में मानसून मानाे शहर से रुठ सा गया था। जुलाई के 31 और अगस्त के 20 दिन मिलाकर 52 दिन शहर भारी बारिश काे तरस गया। सावन सूखा बीता, भादाें का पूर्वार्द्ध भी सूखा ही रहा। 20 अगस्त की शाम से माैसम के तेवर फिर बदल गए थे।

27-28 काे फिर तेज बारिश के आसार


बंगाल की खाड़ी में साेमवार काे एक और कम दबाव का क्षेत्र बन गया। माैसम वैज्ञानिक एवं ड्यूटी ऑफिसर एचएस पांडे का कहना है कि यदि यह पश्चिम दिशा में बढ़ा ताे भाेपाल में 27-28 अगस्त काे भारी बारिश हाे सकती है।

तीन वजह

1. अरब सागर में उठे तूफान निसर्ग के कारण जून के पहले हफ्ते से ही तेज बारिश का दाैर शुरू हाे गया था। इस बार जुलाई में बंगाल की खाड़ी में ऐसा मानसूनी सिस्टम यानी कम दबाव का क्षेत्र नहीं बना जाे माैसम पर असर डाल सके।
2. इस बार जुलाई में गरज- चमक वाले बादल भी ज्यादा नहीं बने
3. अगस्त में 4 तारीख से 19 तारीख तक 4 सिस्टम बने। इनमें से तीन दूर से और तेजी से हाेकर गुजर गए। 19 अगस्त काे बने सिस्टम ने ही शहर में भारी बारिश कराई।

-एके शुक्ला, पीके साहा, वरिष्ठ माैसम वैज्ञानिक

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