मरीजों की मौत पर मुआवजे के लिए किसी गाइडलाइन की जरूरत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने खरिज की याचिका

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सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका के तहत मांग कि गई थी कि करोना से मरने वालों के रिश्तेदारों को मुआवजा देने के लिए कोई राष्ट्रीय पॉलिसी या गाइडलाइंस बनाई जाए.

देश भर में कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 31 लाख को पार कर गई है. जबकि इस खतरनाक वायरस से अब तक 57 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने करोना से मरने वालों के रिश्तेदारों की मदद के लिए मुआवजे से जुड़ी कोई भी गाइडलाइंस बनाने से इंकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर राज्य के हालात अलग है. लिहाजा ऐसे में कोई राष्ट्रीय गाइडलाइंस बनाना संभव नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.

याचिका में और क्या थी मांग?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका के तहत मांग कि गई थी कि करोना से मरने वालों के रिश्तेदारों को मुआवजा देने के लिए कोई राष्ट्रीय पॉलिसी या गाइडलाइंस बनाई जाए. याचिका में मांग की गई थी कि इस वायरस से लड़ने के लिए फिलहाल कोई इलाज नहीं है. ऐसे में मौत के बाद परिवार वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन कोर्ट ने याचिका सुनने से इंकार कर दिया. कोर्ट कहना है कि कोरोना को लेकर पूरे देश में एक जैसे हाालात नहीं हैं.

कोरोना वॉरियर्स को  मुआवजा

बता दें कि अस्पतालों में काम करने वाले डाक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों को मुआवजा दिया जाता है. मार्च के महीने में कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये जुटे डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिये सरकार की तरफ से 50 लाख रुपये के बीमा कवर की घोषणा की गई थी. इस जीवन बीमा कवर में स्वास्थ्य कर्मियों, सफाई कर्मियों, आशा वर्कर्स और इस लड़ाई में शामिल बाकी सरकारी कर्मचारियों को भी दिया जाता है. लेकिन आम लोगों को इसका फयाद नहीं दिया गया है.

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