तेजस्वी से नाराज जीतनराम मांझी ने महागठबंधन छोड़ा, एनडीए में जा सकते हैं

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  • जदयू के बाद हिंदुस्तान आवाम मोर्चा दूसरी पार्टी है जिसने महागठबंधन छोड़ा
  • राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक जदयू मांझी को 5 से 6 सीटें दे सकती है

पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने गुरुवार को आखिरकार महागठबंधन छोड़ने का ऐलान कर दिया। पार्टी दफ्तर में हुई कोर कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया। पार्टी प्रवक्ता दानिश रिजवान ने बताया कि एनडीए में जाने पर फैसला जल्द लेंगे। यह साफ हो चुका है कि मांझी की जदयू से बात फाइनल हो चुकी है और वे एक-दो दिनों में एनडीए का दामन थाम लेंगे।

पार्टी के करीबी सूत्रों के मुताबिक जदयू उन्हें 5 से 6 सीटें दे सकती है। बताया जा रहा है कि जदयू यह चाह रही थी कि हिंदुस्तान आवाम मोर्चा का उनकी पार्टी में विलय हो जाए। लेकिन, मांझी विलय के पक्ष में नहीं थे और अपने पार्टी का अस्तित्व बचाए रखना चाहते थे। बात फाइनल नहीं हो पा रही थी और इसी वजह है कि मांझी बार-बार अल्टीमेटम देकर भी महागठबंधन नहीं छोड़ रहे थे। जब बात फाइनल हो गई है तब मांझी ने महागठबंधन को छोड़ने का निर्णय ले लिया।

लंबे समय से राजद से नाराज चल रहे थे मांझी
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को करारी हार मिली थी। इसके बाद से ही मांझी राजद से नाराज चल रहे थे। वह कई बार कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग कर चुके थे, लेकिन राजद इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। पिछले महीने भी मांझी ने अल्टीमेटम दिया था कि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो वे जल्द बड़ा फैसला ले सकते हैं। इसके बाद भी राजद ने मांझी की बातों को दरकिनार कर दिया।

चिराग की वजह से खुला मांझी का रास्ता
बिहार में दलितों का बड़ा वोटबैंक लोजपा के पास है। पिछले दिनों लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान कई मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर रहे हैं। जदयू कुछ दिन तो शांत रही, लेकिन फिर इधर से भी जुबानी हमले होने लगे। चिराग के बयान से जदयू काफी असहज महसूस कर रही है। जदयू को इस बात का भी डर का है कि दलित वोटर उनसे नाराज न हो जाएं। सूत्रों के मुताबिक जदयू ने इसी वजह से दलित नेता जीतन राम मांझी को अपने पाले में लाने का फैसला किया है।

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