उपचुनाव में बैलेट पेपर पर 2 करोड़ अतिरिक्त खर्च को लेकर फैसला अटका

0

कांग्रेस की माँग है कि 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव बैलेट पेपर से हों ।अभी 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होनेे हैं। 2018 के चुनाव में 180 करोड़ का बजट था।

मप्र में उपचुनाव में बैलेट पेपर से मतदान कराया जाए या नहीं, इस बारे में चुनाव आयोग जल्दी ही फैसला लेगा। आयोग ने राजनीतिक दलों से उपचुनाव के संबंध में सुझाव मांगे थे। इसकी तारीख पहले 31 जुलाई थी। बाद में इसे बढ़ाकर 11 अगस्त कर दिया गया था। प्रदेश कांग्रेस की ओर से दोबारा मांग की गई है कि कोरोना महामारी के चलते बैलेट पेपर से मतदान कराया जाए। इसके पीछे तर्क यह था कि चूंकि ईवीएम मशीन के एक ही बटन को दबाकर कई लोग वोट करेंगे, जिससे संक्रमण का खतरा ज्यादा है।

अब यदि बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाते हैं तो उनकी छपाई का खर्च 2 करोड़ रुपए बढ़ जाएगा। वहीं भाजपा ईवीएम के जरिए मतदान कराए जाने की पक्षधर है। प्रदेश भाजपा विधि विभाग के संयोजक संतोष शर्मा का कहना है कि मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए। एक मतदान केंद्र पर 400 से ज्यादा मतदाता न हों। इसके साथ ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं का समय तय कर दिया जाए कि किस समय कौन से वार्ड के लोग वोट करने पहुंचेंगे।

ऐसे बढ़ेगा 50 करोड़ का खर्चा

2018 के विधानसभा चुनाव में 230 सीटों के लिए 180 करोड़ रुपए का बजट था। प्रत्येक सीट पर सिर्फ चुनाव आयोग का मतदान संबंधी प्रचार प्रसार और मशीनरी का खर्च 78 लाख रुपए था। सामान्य परिस्थिति में 27 सीटों पर उपचुनाव का खर्चा 21 करोड़ रुपए अनुमानित है, लेकिन कोविड-19 की वजह से अतिरिक्त खर्चा 50 करोड़ रुपए बढ़ जाएगा। दरअसल, कोरोना संकट के कारण 4500 अतिरिक्त पोलिंग बूथ बनाए जाने जाना है एवं सेनेटाइजर, ग्लब्स और मास्क की खरीदी पर प्रत्येक सीट पर प्रत्येक सीट पर 1 करोड़ 85 लाख रुपए का खर्च बढ़ जाएगा।

Leave a Reply