विधायकों को आखिर रेगिस्तान में क्यों ले गए CM गहलोत?

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विधायकों की निगरानी कर रही गहलोत की टीम को खुफिया एजेंसियों से इनपुट मिला कि जयपुर में होटल में विधायकों से संपर्क की कोशिश की जा रही है. ये होटल जयपुर- गुड़गांव हाईवे पर है।

अशोक गहलोत अपने 45 साल के राजनीतिक जीवन में इस वक्त सबसे बड़ी सियासी परीक्षा से गुजर रहे हैं. सचिन पायलट की चुनौती गहलोत के लिए अभी भी पहेली बनी हुई है. सरकार बचने और गिरने में महज दो विधायकों के पाला बदलने का खेल है. 14 अगस्त को विधानसभा का सत्र शुरू होगा लेकिन ये 14 दिन गहलोत के लिए मानो एक युग है. खुफिया एजेंसियों के इनपुट और पल- पल बदलते हालात ने गहलोत को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है.

विधायकों की निगरानी कर रही गहलोत की टीम को खुफिया एजेंसियों से इनपुट मिला कि जयपुर में होटल में विधायकों से संपर्क की कोशिश की जा रही है. ये होटल जयपुर- गुड़गांव हाईवे पर है.और गुड़गांव से पहले मानेसर में पायलट गुट होटल में है. इन दोनों होटलों की बीच फासला कम और सीधा रुट और चिंता वजह बना हुआ था. होटल के जयपुर में ही होने से विधायकों को कुछ देर के लिए घर जाने और घरवालों से मिलने का दबाब बढ रहा था. अन्यथा घरवालों को होटल में आने की इजाजत की मांग बढ़ रही थी.

गहलोत कैंप के पास वर्तमान में 101 विधायक
गहलोत को डर निर्दलीय और कांग्रेस की बाड़ेबंदी में मौजूद सचिन पायलट के संपर्क वाले विधायकों से बना हुआ है. गहलोत कैंप के पास वर्तमान में 101 विधायक हैं, जिसमें स्पीकर भी शामिल हैं. एक भी विधायक के पाला बदलने का मतलब सरकार का गिरना तय है. विधायक फेयरमाउंट में 16 दिन की बाड़ेबंदी से बोर हो गए थे. गहलोत के कुछ नजदीकी विधायकों ने राय दी थी सैर सपाटे के लिए ले जाये. रिस्क से बचने के लिए दूर दूराज शिफ्ट कर दें.

जैसलमेर सबसे मुफीद लगा
ऐसे में गहलोत ने तय किया कि विधायकों को ऐसी जगह शिफ्ट किया जाए जहां तक आसानी से किसी की पहुंच न हो. जैसलमेर सबसे मुफीद लगा. उसकी दो वजह एक तो जयपुर से 500 किलोमीटर और मानेसर से 700 किलोमीटर दूर होना है. जैसलमेर में होटल भी शहर से दूर चुना गया जहां तक कोई भी अनजान न पहुंच पाए. गहलोत के नजीदकी अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सालेह मोहम्मद जैसलमेर के पोकरण से ही विधायक हैं. जैसलमेर में सालेह के परिवार का दबदबा है. राजस्व मंत्री और गहलोत के नजदीकी हरीश चौधरी भी इसी इलाके से हैं. जैसलमेर में निर्जन रेगिस्तान भी है, पर्यटन स्थल भी है और निगरानी का पूरा तंत्र भी.

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