पायलट की बजाय अब राज्यपाल कलराज मिश्र क्यों हैं गहलोत के निशाने पर?

- राज्यपाल ने एक नहीं बल्कि दो बार राजस्थान कैबिनेट की विधानसभा सत्र बुलाने की मांग टेक्निकल आधार पर खारिज कर दी
- गहलोत और कांग्रेस की यह तस्वीर पेश करना चाहते हैं कि भाजपा और राज्यपाल जनता की चुनी हुई सरकार को दबाने की कोशिश कर रहे
राजस्थान में राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में ‘तू डाल-डाल, मैं पांत-पांत’ जैसी स्थिति बनी हुई है। राजस्थान में सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत की लड़ाई ने बैकसीट ले ली है और मुद्दा अब राज्यपाल बनाम कांग्रेस हो गया है। इस पूरे प्रकरण में जिस तरह नए चेहरे के तौर पर कलराज मिश्र सामने आए हैं, उससे राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम में नया मोड़ आ गया है।

पायलट के बजाय राज्यपाल क्यों हैं गहलोत के निशाने पर?
- राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के बाद यह तय हो गया है कि सदन जब तक नहीं चलेगा, तब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे।
- इसी बात को ध्यान में रखते हुए स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली। तय किया कि पूरे मामले को सियासी आधार पर लड़ेंगे, कानूनी आधार पर नहीं। इसी वजह से भाजपा और राज्यपाल निशाने पर आ गए हैं।
- राज्यपाल ने एक नहीं बल्कि दो बार राजस्थान कैबिनेट की विधानसभा सत्र बुलाने की मांग टेक्निकल आधार पर खारिज कर दी। कोरोना महामारी में सोशल डिस्टेंसिंग आदि के पालन समेत सत्र से पहले विधायकों को 21 दिन के नोटिस जैसे कारण गिनाए।
विधानसभा सत्र बुलाने के पीछे की राजनीति क्या है?
- कांग्रेस चाहती है कि जल्द से जल्द विधानसभा का सत्र बुलाया जाए और विश्वास मत पेश किया जाए। व्हिप का पालन करना पायलट की मजबूरी होगी। यदि व्हिप का पालन नहीं किया तो उन्हें अयोग्य करार देना आसान हो जाएगा।
- लेकिन, भाजपा और पायलट नहीं चाहते कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाए। वे कह रहे हैं कि नियमों के अनुसार कार्यवाही होनी चाहिए। नियमों का ही हवाला देकर राज्यपाल ने अशोक गहलोत की सरकार को उलझा रखा है।
- राजस्थान के मामले में अब तक कैबिनेट ने यह नहीं कहा है कि संवैधानिक संकट है और विश्वास मत हासिल करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाया जाए। यदि ऐसा करते तो राज्यपाल को बुलाना भी पड़ता, लेकिन कांग्रेस की उसमें किरकिरी होती।
- गहलोत और कांग्रेस की कोशिश जनता के सामने यह तस्वीर पेश करना है कि भाजपा और राज्यपाल जनता की चुनी हुई सरकार को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी को लेकर वे राज्यपाल के खिलाफ मुखर है और कांग्रेस सड़क पर उतरी हुई है।
कलराज मिश्र से पहले उत्तरप्रदेश के ही पूर्व भाजपा नेता कल्याण सिंह राजस्थान में राज्यपाल थे। तब गहलोत और कल्याण सिंह के टकराव की खबरें अक्सर हेडलाइन बना करती थी। पिछले साल सितंबर में मिश्र राजस्थान पहुंचे और तब से पहली बार टकराव दिख रहा है।
राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे थे कलराज मिश्र
- कलराज मिश्र संगठन के आदमी हैं। लोगों को जोड़ना और जोड़े रखना उन्हें अच्छे से आता है। उत्तरप्रदेश में चार बार भाजपा अध्यक्ष रहे। उन्होंने बाबरी विध्वंस के दौरान कारसेवकों को अयोध्या पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी।