राजा मान सिंह फर्जी एनकाउंटर केस में कोर्ट का फैसला

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राजा मानसिंह ने CM का हेलीकॉप्टर तोड़ दिया था, पुलिस ने राजा को गोलियों से भून दिया था।

भारत की राजनीति के इतिहास में दर्ज राजस्थान के राजा मान सिंह फर्जी एनकाउंटर केस में डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 11 पुलिस कर्मचारी दोषी पाए गए हैं। 3 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। यह एक पॉलिटिकल किलिंग थी जिसे पुलिस एनकाउंटर दर्ज किया गया था। यह प्रकरण राजनीति में पद के दुरुपयोग के सशक्त उदाहरण के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। 

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बात सन 1985 की है। राजा मान सिंह डीग विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे। राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवचरण माथुर उनके खिलाफ चुनावी सभा को संबोधित करने आए थे। राजा मानसिंह ने अपनी जीप से टक्कर मारकर उनका हेलीकॉप्टर तोड़ दिया था। इसके अलावा उनके मंच को भी नुकसान पहुंचाया था। इस घटना के दूसरे दिन 21 फरवरी 1985 को जब राजा मानसिंह चुनाव प्रचार करके वापस लौट रहे थे तब डीग थाने के सामने डीएसपी कान सिंह भाटी ने करीब 17-18 पुलिस कर्मचारियों के साथ राजा मानसिंह को घेर लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग कर डाली। जिसमें राजा मान सिंह के अलावा सुमेर सिंह और हरी सिंह की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस घटना को एनकाउंटर के रूप में दर्ज करके केस क्लोज कर दिया था।

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राजनीतिक हत्याकांड होने के कारण मामले ने तूल पकड़ लिया। अंततः सीबीआई को मामले की निष्पक्ष जांच के लिए बुलाया गया। सीबीआई ने जयपुर न्यायालय में दाखिल किया। इसके बाद साल 1990 से मथुरा कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई चल रही है। इसमें सीओ कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्र सिंह समेत 14 पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया गया था। मामले की सुनवाई राजस्थान के बाहर मथुरा के न्यायालय में कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था।  तब से इस मामले में अब तक करीब 78 बार गवाही हुई। इस मामले में तीन अभियुक्तों की मौत हो चुकी है।

राजा मानसिंह की लोकप्रियता

1946-47 में भरतपुर रियासत के मंत्री बने।1947 में रियासत का झंडा उतारने का विरोध किया तथा राष्ट्रीय ध्वज फहराने वालों को जेल से मुक्ति दिलाई।सन् 1952 में प्रथम बार विधानसभा में निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए। 1952 से 1984 तक लगातार सातवीं विधानसभा तक निर्दलिय विधायक रहे।

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