राजस्थान के सियासी संग्राम में कांग्रेसी दिग्गजों के बीच शह और मात का आखिरी दौर

गहलोत सरकार का खतरा टलने के बावजूद राजस्थान कांग्रेस के जारी संग्राम में एक दूसरे को मात देने की सियासत चरम पर पहुंच गई है। कांग्रेस ने सचिन पायलट और उनके समर्थकों पर नोटिस के जरिये कार्रवाई करने की धमकी दी तो पायलट ने भी सीधे शब्दों में भाजपा में नहीं जाने का ऐलान कर इस डंडे की धार कमजोर कर दी। तब कांग्रेस ने भी फिर से गेंद अपने बागी नेता के पाले में डालते हुए स्पष्ट संदेश दिया कि भाजपा के सियासी जाल से निकल कर पायलट और उनके समर्थक घर लौट सकते हैं और उनके लिए पार्टी के दरवाजे शर्तों के साथ खुले हैं।
सियासत बचाने के लिए हो रही इस जंग में पायलट भी अपने पत्ते सधे तौर पर खेलते हुए अलग पार्टी बनाने से लेकर कांग्रेस में वापस लौटने के सभी राजनीतिक-कानूनी पहलुओं पर गौर कर रहे हैं। कांग्रेस की राजनीति के लिए सचिन पायलट की मौजूदा दौर में जरूरत और उनकी अहमियत को देखते हुए पार्टी हाईकमान ने सभी विधायकों के खिलाफ नोटिस के तौर पर चलाए गए अनुशासन के डंडे के बाद भी पायलट को वापस लौट आने का आखिरी व्यक्तिगत संदेश भेजा है।

पायलट ने दिल्ली में गहलोत के खिलाफ आरोपों के तीर चलाए तो जयपुर में गहलोत ने पायलट के खिलाफ खुलकर भड़ास निकाली। कांग्रेस की ओर से नोटिस मिलने से विधायकों की सदस्यता पर मंडराते खतरों को देखते हुए ही अपने कानूनी सलाहकारों की राय के अनुरूप सचिन पायलट ने बुधवार सुबह भाजपा में नहीं जाने और कांग्रेस का सदस्य होने का बयान जारी किया। राजस्थान के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडेय ने तब ट्वीट के जरिये सचिन को भाजपा के मायाजाल से बाहर आने की सलाह देते हुए कहा कि यदि वे ऐसा करते हैं तो कांग्रेस के दरवाजे उनके लिए अभी भी खुले हैं।

पार्टी सूत्रों ने कहा कि कानूनी नोटिस पर भाजपा में नहीं जाने के पायलट के बयान का असर कमजोर न हो जाए इसीलिए सोच-समझ कर दुबारा शाम को जयपुर में रणदीप सुरजेवाला की ओर से एक बयान जारी किया गया। इसमें सुरजेवाला ने स्पष्ट तौर पर सचिन पायलट के बयान की काट करते हुए जवाबी दांव चलते हुए राजस्थान की सरकार गिराने की भाजपा की साजिश में उनके हिस्सेदार होने का बयान देने से किसी तरह का परहेज नहीं किया।
सुरजेवाला का यह दांव स्पष्ट रूप से पायलट और उनके विधायकों को मौका नहीं दिए जाने की किसी तरह की कानूनी कार्रवाई का रास्ता बंद करना है। कांग्रेस के इस सियासी दांव को पढ़ते ही पायलट भी अपने कानूनी सलाहकारों और विधायकों से आगे की रणनीति पर गंभीर विचार -विमर्श कर रहे हैं। वैसे इस लड़ाई में मुख्यमंत्री गहलोत राजनीतिक और कानूनी दोनों मोर्चे पर फिलहाल पायलट पर भारी पडे़ हैं और कांग्रेस नेतृत्व भी उनके साथ मजबूती से खड़ा दिखाई दे रहा है।